रविवार, 11 अक्तूबर 2009

हार गया यौवन..

भरपूर यौवन भरे  गगन का जीवन धन दम्भ से हार गया।

होनहार क्रिकेटर गगनदीप मेरठ में मार दिए गए। 
मामला यह था कि कुछ धनपशुओं की औलादों ने एक कबाब की दुकान पर नम्बर आने से पहले कबाब माँगा। दुकानदार के नम्बर आने पर देने को कहने और बकाया के बारे में याद दिलाने पर उन शोहदों को क्रोध आ गया, वहीं दुकानदार को गोली मार दिया। प्रतिरोध करने और भागते हत्यारे को पकड़ने की कोशिश करते गगनदीप को भी गोली मार दी गई।
यह अहंकार इतना उद्धत कि जीवन के लिए कोई सम्मान ही नहीं !इतनी सी बात पर सृष्टि की सबसे बड़ी देन जीवन का हनन !
कहाँ से आता है? कौन इसका पोषक है?- अनर्गल धन । धन आसुरी शक्ति है।
मिथ्या दम्भ और समाज की शक्तिशाली के आगे झुक कर रहने की प्रवृत्ति ने, चाहे वह अनर्थ ही क्यों न कर रहा हो, धनपशुओं की बाढ़ ला दी है।संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी इस देश में धन का जैसा नंगा प्रदर्शन और दुरुपयोग होता है वैसा किसी पूँजीवादी देश में नहीं होता।        
धनपशुओं की औलादें सड़क का बलात्कार करती चलती हैं।हमारे कॉलोनी मुहल्ले में आधी सड़क घेर दारूबाजी करती हैं, महिलाओं को छेड़ती हैं और हम चुप रहते हैं। हमारी चुप्पी धीरे धीरे घनीभूत हो उन्हें साहस देती है, और कहीं कोई गगनदीप फिर मारा जाता है। 
यौवन की शत्रु है यह स्थिति। 
जवानी, जब व्यक्ति सम्पूर्ण उत्साह से भरा होता है - लबालब। अनाचार के मर्दन को उद्यत अनंत जज्बा लिए!ऐसी घटनाएँ उसे कुंठित करती हैं। समाज की चेतना के एक महत्त्वपूर्ण अंग को पक्षाघात की शिकार बनाती हैं ऐसी घटनाएँ !
अधिक नहीं लिखूँगा क्यों कि आवेश में कलम ... न चले वही अच्छा होता है। 
मैं परिणति नहीं कारण की बात कर रहा हूँ। यह स्थिति एक पूरी पीढ़ी को नपुंसक और क्लीव बना रही है। 
हम इतना तो कर सकते हैं न कि अश्लील और अनर्गल, चाहे जैसे धन संचय की प्रवृत्ति से बचें ? 
हम इतना तो कर सकते हैं न कि कल ऐसा कुछ हमारे सामने हो तो कोई गगनदीप अकेला न पड़े ?
ऐसा तो होगा न कि कल ऐसा कुछ हमारे सामने हो तो गगनदीप की याद हमें प्रतिरोध करने से न रोके बल्कि प्रतिरोध को और सशक्त बनाए ?

19 टिप्‍पणियां:

  1. हम इतना तो कर सकते हैं न कि कल ऐसा आप के सामने कुछ हो तो कोई गगनदीप अकेला न पड़े ?* बिलकुल सही कहा आपने । ऐसी भी बात नहीं है कि अच्छे लोग दुनिया मे नहीं रहे मगर लाठी के डर से दुबक जाते हैं गगनदीप के रूप मे हमने एक अच्छा इन्सान और हीरा खि दिया हैI। आपकी बातें दिल को छू गयी। धन्यवाद गगन दीप को विनम्र् श्रद्धाँजली

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  2. शब्दशः सहमत गिरिजेश जी ....मैं भी स्तब्ध हूँ !

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  3. गिरिजेश जी मैं इस स्तब्ध कर देने वाली घटना पर कुछ पढना चाह रहा था,बिलकुल ऐसा,टीवी चैनल्स के अनावश्यक दोहराव वाले शोरोगुल से अलग.आपने सही कहा कि ऐसे समय ज्यादा न लिखना ठीक है,भावावेश कहीं दूर तक ले जा सकता है.
    इसका कारण धन का अश्लील स्वरुप तो है ही साथ ही इससे खरीदी जा सकने वाली सत्ता भी है जो ये भाव लाती है कि सब कुछ मैनेज किया जा सकता है.

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  4. आपने जो कहा हम उतना तो कर ही सकते हैं ..

    स्तब्ध कर देने वाली घटना ।

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  5. सही कहा।
    धन आसुरी शक्ति नहीं, धन को असुरों ने अपहृत कर लिया है। बहुत कुछ उसी तरह जैसे राजनैतिक सत्ता को लम्पटों ने!

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  6. "हम इतना तो कर सकते हैं न कि कल ऐसा कुछ हमारे सामने हो तो कोई गगनदीप अकेला न पड़े?"

    सही कहा है, याद रखने वाली बात है. आपसे पूर्ण सहमती है. गगनदीप को विनम्र श्रद्धांजलि!

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  7. समाचार से ये विषय केवल धन का नहीं दिखती,हत्यारे केवल एक सिपाही के संबन्धी थे. मूर्खता पूर्ण अहंकार तो है ही साथ में समाज में व्याप्त कुंठा भी इसके पीछे है.

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  8. 'सिपाही की संपदा'पर एक लेख लिखूँ?
    ..कितनी होती है और लिंक कहाँ कहाँ जाते हैं, अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।
    'थानों की निलामी' - सम्भवत: यह कानाफूसी आप ने सुनी होगी।
    सिपाही ही नहीं हर वर्ग में अकूत सम्पत्ति की तृष्णा रखने वाले, अमली जामा पहनाने वाले और उसे साष्टांग सम्मान देने वाले हैं। दुर्भाग्य से वही भाग्य विधाता बने बैठे हैं। इस समाजवादी देश के ऐसे समाज ने प्रगति और संस्कृति की न जाने कितनी सम्भावनाओं को समाप्त कर दिया और न जाने कितनों पर घुन की तरह लगे हैं!
    कुण्ठा नहीं यह अनाचारी दम्भ है जो अनर्गल धन की संतति है।

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  9. दुखद घटना ! क्या कहूं यही ना कि ये तो अब आम घटना बन चुकी है.
    वैसे धन वाली बात. क्या धन ही एक कारण है? हाँ अहम कारण जरूर है. सिपाही की सम्पदा तो लिखिए. अब क्या कहूं कुछ तो रिश्ते में आते हैं अथाह संपत्ति वाले सिपाही !

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  10. Girijesh ji maut ki khabren to roz aati hai lekin is khabar ko lagate samay man bhari hogaya...lekin zindagi to chalti rahati hai...

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  11. दुखद..........बहुत दुखद.......

    आपका दर्द मेरा भी दर्द है.......इस दर्द का इलाज ज़रूरी है.....

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  12. यौवन का शत्रु यौवन स्वयं है...

    कहते हैं कि यौवन से औद्धत्य और रूमानियत निकाल दें तो कुछ नहीं बचता...

    लेकिन ये कैसा औद्धत्य..? रोना आता है!

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  13. गिरिजेश जी बात बहुत सही है लेकिन ये भी सच है की हम सिर्फ आपकी रचना के लिए tarif कर सकते हैं हकीक़त सामने आने पर वैसा ही दृश्य hota है मौन हो कर बेबसी पे अपने आपको कौश्ते हैं !~

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  14. zindagi ki chhoti -chhoti aur mithi yaado ko sundarata se prastut karane ki kala aap me hi hai .
    बहुत ही सुंदर --इस खुलेपन की जितनी भी तारीफ़ करें कम है, दोस्त।

    dher sari subh kamnaye
    happy diwali

    from sanjay bhaskar
    haryana
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  15. aapne gazab likha hai dil ko jhinjor diya, aise hadso ke liye sirf kanun vayvastha ko jimmedar na samjhe public bhi utni hi jimeedar hai. anyay ko sahan karna anyay karne ke barabar hai

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