मंगलवार, 29 अगस्त 2017

भगवद्गीता के पाठ भेद : काश्मीर और शाङ्कर पाठ

भगवद्गीता का काश्मीर पाठ आनंदाश्रमसंस्कृतग्रंथावलि: ग्रंथांक 112 में राजाजानकरामकवि कृत सर्वतोभद्राख्यटीका के साथ प्रकाशित है। इस संस्करण की प्रचलित संस्करण से तुलना करने पर पता चलता है कि पाठभेद बहुत हैं। प्रथम दृष्टया अधिकांश से कोई अंतर पड़ता नहीं दीखता किंतु कुछ अवश्य महत्त्वपूर्ण हैं जो निम्नवत हैं (पहले प्रचलित शाङ्कर पाठ दिया है, तत्पश्चात उसका काश्मीर स्थानापन्न):
विसृज्य ‍~ उत्‍सृज्य
विषीदंत ~ सीदमान क्लैव्यं मा स्म गम: पार्थ ~ मा क्लैव्यं गच्छ कौंतेय
परधर्मो भयावह: ~ परधर्मोदयादपि, योगेश्वर ~ योगीश्वर, शाश्वत धर्म ~ सात्वत धर्म, यक्षासुर ~ गंधर्वयक्षा, योधवीरान्‍ ~ लोकवीरान्‍, अथ चित्तं समाधातुं ~ अथाऽऽवेशयितुं, परित्यागी ~ फलत्यागी, प्रवृद्धे ~ विवृद्धे, उत्क्रामंतं स्थितं ~ तिष्ठंतमुत्क्रामंतं, त्याग: शांति: ~ त्यागोऽसक्ति, धृतिं शौच: ~ धृतिस्तुष्टि, विस्तरश: ~ विस्तरत:, किमन्यत्कामहैतुकं ~ किंचित्कमहेतुकं, अशुभा: ~ अहिता:, दम्भमानमदा ~ दम्भलोभमदा, ज्ञात्वा ~ कृत्वा, यजंते ~ वर्तंते, गणांश्चा ~ पिशाचांश्चा, अचेतस: ~ अचेतनं, हर्षशोका ~ दु:खशोका, मूढ़ग्राहेण ~ मूढ़ग्रहेणा, ब्राह्मणास्तेन ~ ब्रह्मणा तेन, युज्यते ‍ ~ गीयते, न्यासं ~ त्यागं, संप्रकीर्तित: ~ संप्रदर्शित:, यत्‍ ~ य:, पञ्चैतानि ~ पञ्चेमानि, अनपेक्ष्य ~ अनवीक्ष्य, मन्यते ~ बुध्यते, आवृता ~ अन्‍विता, निगच्छति ~ यत्तदात्वे, यत्तदग्रे ~ यत्तदात्वे, तत्सुखं राजसं ~ तद्राजसमिति, दमस्तप: ~ दमस्तथा, ब्रह्मकर्म ~ ब्राह्मं, परिचर्यात्मकं ~ पर्युत्थानात्मकं, काङ्क्षति ~ हृष्यति, मत्पर: ~ भारत, उपाश्रित्य ~ समाश्रित्य, अहंकारान्न श्रोष्यसि ~ अहंकारं न मोक्ष्यसि, शांतिं ~ सिद्धिं, यथेच्छसि ~ यदिच्छसि, विप्रनष्ट: ~ विनष्टस्ते, संस्मृत्य संस्मृत्य ~ संस्मृत्य परमं, त्दृष्यामि च ~ प्रहृष्ये और नीतिर् ~ इति। उपर्युक्त पाठभेदों के अतिरिक्त ऐसे श्लोक भी काश्मीर पाठ में हैं जो शाङ्कर पाठ में नहीं हैं। वे ये हैं:
इसी प्रकार कुछ श्लोक ऐसे भी हैं जो काश्मीर पाठ में नहीं हैं किंतु शाङ्कर पाठ में हैं:
भगवद्गीता पूरे भारत में लोकप्रिय है और मत मतांतर से इसके बहुत से भाष्य भी किये गये हैं।  ऐसे में इन पाठ भेदों और श्लोक आधिक्यों को भौगोलिक भेद के साथ साथ साम्प्रदायिक मान्यताओं के आलोक में सूक्ष्मता से विश्लेषित करना एक महत्त्वपूर्ण शोध कार्य हो सकता है। कोई है जो तुलनात्मक अध्ययन कर सके या कर चुका हो? 

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